धर्म सम्राट जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी महाराज के अनंत कृपा भाजन शिष्य
पूज्य श्री अतुल जी महाराज रामायणी जी का जन्म माँ शारदा की पवित्र नगरी मैहर सतना मध्यप्रदेश में, श्री रामचरितमानस के परम विद्वान एवं प्रखर रामायण प्रवक्ता आचार्य श्री मूलचन्द तिवारी एवं माँ शारदा की परम उपासिका माँ ललितादेवी के यहाँ चैत्र नवरात्रि के दिन 1979 में प्रातः काल ब्रम्ह मुहूर्त में हुआ।
बाल्यकाल से ही आप में विलक्षण एवं अलौकिक गुणों को देखकर आपके पूज्य पिता श्री ने एक प्रखर वक्ता के रूप में देखने का मानस बनाया और 9 वर्ष की अल्प आयु से ही आपको अपने साथ रखकर श्री राम प्रेम के मोतियाँ की माला पहना दी। तथा 14 वर्ष की आयु से आपको श्री रामबंधा करने का आर्शीवर्वाद प्रदान किया।
धर्मसम्राट जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामीस्वरुपानंद सरस्वती जी महाराज के दिव्य सानिध्य में आपकी शिक्षा-दीक्षा श्री धाम गोटेगांव में गुरुकुल पद्धति से हुई ! पूज्य गुरु महाराज जी के आशीर्वाद संतो का स्नेह एवं श्री राम प्रेमियों के प्रेम स्नेह से आप अब तक भारतवर्ष के अनेक महानगरों में श्रीरामकथा, श्री मद्भागवत कथा, श्रीशिवमहापुराण, श्री मद्देवीभागवत कथा एवं आध्यात्मिक सत्संगों के 500 से अधिक सफल आयोजन कर चुके हैं। आपकी सरस एवं धारा प्रवाह विलक्षण शैली रामकथा श्रोताओं को अति आनंद प्रदान करती है।
भगवान श्री रामभद्र एवं हनुमान जी महाराज की कृपा को आपने अन्तःकरण में धारक करके श्री रामकथा एवं भी मद्भागवत के अविरल पावन त्रिवेणी में मानव को स्नान कराकर परम आराध्य श्री राम के चरणों में प्रेम कराना ही पूज्य श्री अतुल जी रामायणी का परम उद्देश्य है।
जीवन का शाश्वत सूत्र
"नारायण से प्रेम नर की सेवा" को अपने जीवन अन्तःकरण में धारण करने वाले पूज्य महाराज जी ने मानव सेवा को ध्येय में रखकर "विश्व परमार्थ सेवा ट्रस्ट" की स्थापना की संस्थापक अध्यक्ष पूज्य महाराज श्री के मार्गदर्शन में मानव सेवा गौ सेवा एवं राष्ट्र सेवा के अनेकों कल्याणकारी कार्य किये जा रहे हैं।
आइये हम और आप भी पूज्य महाराज श्री के साथ जुड़कर सेवा महायज्ञ में अपनी पूण्य आहुति समर्पित करें।
जय सियाराम जय श्री कृष्ण ॥