पुराण 

पुराण शब्द का अर्थ है :

पुरातन ज्ञान। ये धर्म, इतिहास, संस्कृति, और लोक जीवन का समग्र परिचय देने वाले ग्रंथ हैं। महर्षि वेदव्यास ने 18 प्रमुख पुराणों की रचना की, जिन्हें पंचम वेद कहा जाता है।

लक्षण (विशेषताएँ) – एक शुद्ध पुराण में ये पांच बातें होती हैं:

- सर्ग – सृष्टि की रचना

- प्रति-सर्ग – सृष्टि का पुनर्निर्माण

- वंश – देवताओं और ऋषियों के वंश

- मन्वंतर – मनुओं के काल

- वंशानुचरितम् – राजाओं और महापुरुषों की कथाएँ

उद्देश्य:

पुराणों का उद्देश्य वेदों के गूढ़ ज्ञान को कथा के रूप में सामान्य जन तक पहुँचाना है, जिससे धर्म, भक्ति और जीवन मूल्यों का प्रचार हो।

प्रमुख पुराण:

  1. भागवत पुराण – श्रीकृष्ण की लीलाएँ
  2. शिव पुराण – भगवान शिव का महात्म्य
  3. विष्णु पुराण – सृष्टि और श्रीविष्णु की कथाएँ
  4. मार्कण्डेय पुराण – दुर्गा सप्तशती का स्रोत
  5. ब्रह्मवैवर्त पुराण, नारद पुराण, आदि

विशेषता:

पुराण सरल भाषा में होते हैं और इनमें कथा, उपदेश, इतिहास, ज्योतिष, नीति, और भक्ति का सुंदर समन्वय होता है।

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